स्वच्छता से प्रबंधन की सीख

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स्वच्छता से प्रबंधन की सीख

सामाजिक और धार्मिक कार्यो के पुरोधा शहर का नम्बर एक आना आश्चर्य का विषय नहीं है बिल्कुल भी नहीं क्योंकि हमारी तासीर में कुछ अलग करने का जज्बा कूट कूट कर भरा है। हमें देश भले ही खाना पान और मालवी तहजीब के लिए जानता हो पर इस शहर की असल ताकत यहां के लोग है ऐसे लोग जिन्हें इंदौरी कहलाने पर नाज है और इसकी खातिर वे किसी भी हद तक जाने को तैयार रहते है। स्वच्छता और मेरा शहर स्वच्छ कहलाए जाए इसका जुनून था शहर में...हो हल्ला करते हुए कचरा इकठ्ठा करने वाली गाडियां जब शहर की कॉलोनियों में घूमती है तब अपने घर के बाहर कचरा लेकर खड़े रहने वाले प्रत्येक इंदौरी के मन में अपना घर स्वच्छ हो यह भावना रहती ही थी पर मेरा शहर स्वच्छ रहे इसकी भावना भी बलवती रहती थी। इस भावना और जज्बें की बदौलत हमनें शीर्ष को प्राप्त किया है पर कहते है ना नम्बर वन बनना सरल है वहां पर लगातार टिके रहना कठिन कार्य होता है। पर हम इंदौरी है धुन के पक्के और एक बार इंदौरियत को कोई जगा देता है तब हम सर्वस्व दांव पर लगा देते है। स्वच्छता का मामला ऐसा है क्योंकि हमें रोजाना की परीक्षा देना है क्योंकि कचरे को रोजाना साफ करना है रोजाना वही जूनून दिखाना है...मेरिट में आने के बाद की खुमारी में हमें रमना नहीं  है बल्कि लगातार काम करते रहना है। नगर निगम की स्वच्छता मुहिम को सलाम और इस मुहिम में शामिल हरेक व्यक्ति की दाद देना होगी कि जिन्होंने इस मुहिम को जन मुहिम बनाया और आम जनता को जागरुक किया। 
डेलिगेशन
इंदौर नम्बर वन बना है पर इसके लिए नगर निगम ने किस तरह से अपने आप को तैयार किया। यह प्रबंधन की दृष्टि से डेलिगेशन का बेहतरीन नमूना है। स्वच्छता शहर में पहले भी होते आई है पर जो परिणाम इस बार सामने आए है वे आश्चर्य में डालने वाले क्यों है? इस बार वर्क डेलिगेशन बहुत सही तरह से हुआ है। नगर निगम के कार्यालय से गलियों में साफ सफाई करने वाले तक एक ही जज्बें से काम किया। नगर निगम के बड़े अधिकारी से लेकर सफाई कर्मी ने यह मेरा काम है और मुझे ही करना है इसका पाठ उसके वरिष्ठ अधिकारी ने अच्छे से समझा दिया था। कार्य का डेलिगेशन सही तरह से होने के कारण प्रत्येक व्यक्ति अपने कार्य के प्रति सजग था और असल में उसे पता था कि क्या करना है।
बेहतर कम्युनिकेशन
स्वच्छता अभियान में सबसे बड़ी भूमिका कम्युनिकेशन ने निभाई। स्वच्छता अभियान का सर्वे हो या फिर केंद्र सरकार के दिशा निर्देश इन सभी को लेकर निगम के अधिकारी एक दुसरे से विचारों और अलग अलग आईडियाज को लेकर बिल्कुल स्पष्ट थे। लगातार बैठके होती थी और एक दुसरे के साथ कम्युनिकेशन के अलावा काम करने वाले सफाईकर्मी किस समय कहां पर मौजूद रहेंगे उनके नाम फोन नम्बर आदि को लेकर भी स्पष्टता थी। कोई एक संदेश देना हो तब सभी में समान रुप से और कम समय में वह संदेश पहुंच जाता था। इतना ही नहीं आम जनता के साथ भी सीधा संवाद रखा गया था और शिकायतों को गंभीरता के साथ लिया जाता है।
मॉनिटरिंग
किसी भी प्रोजेक्ट पर अधिकारी किस तरह से नजर रख रहे है यह महत्वपूर्ण है। निगम के अधिकारियों ने लगातार निगाह रखी और काम करने वाले लोगो की हिम्मत भी बढ़ाई और जो काम करने वाले नहीं थे उन्हें निलंबित भी किया। इससे सभी में एक समान संदेश गया कि अच्छा काम करेंगे तब परिणाम भी वैसे ही रहेंगे। इतना ही नहीं अधिकारी जानते थे कि कचरा इकठ्ठा करना बहुत बड़ा कार्य है और गाड़ियों का गलियों में घूमना नियत समय पर और साथ में जाने वाले लोगो का व्यवहारिक होना जरुरी है। इसके लिए नए तरीके भी अपनाएं गए और कचरा उठाने वाली गाड़ियों के साथ अन्य लोगो को थर्ड पार्टी आडिट की तर्ज पर रखा गया। दिन की बजाए रात में अच्छे से सफाई की गई। संपूर्ण अभियान की मार्केटिंग और ब्रांडिंग भी काफी अच्छे तरह से की गई। शौचालय बनाने में टीम को झोक दिया गया और नियत समय पर सार्वजनिक स्थलों पर शौचालय बने इस बात का ध्यान रखा गया। नगर निगम की टीम और अधिकारी इस अभियान को लेकर इतने दिल से जुड़े थे कि सुबह पांच बजे भी निकल जाते थे और खुले में शौच करने वालों को एनजीओ के कार्यकर्ताओं के माध्यम से चेतावनी भी देते थे। इसके अलावा इस अभियान भें गीत संगीत की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। इस अभियान में कैलाश खेर और शान के गाए गीतों ने न केवल लोगो में अलख जगाई बल्कि छोटे बच्चों को भी स्वच्छता के प्रति जागरुक किया।
कुल मिलाकर यह स्वच्छता प्रोजेक्ट अपने आप में प्रबंधकीय विशेषताओं से भरा पड़ा है और बेहतरीन प्रबंधन के कारण ही इस प्रोजेक्ट को सफलता मिली।

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